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Sunday, April 26, 2015

मैं तट की मीन हुयी

दृष्ट है अदृष्ट है
तू ही तो इष्ट है
गोधूली, पुरवाई,
कुञ्जों की अंगड़ाई,
जमुना जल की लहरें,
राधा का गीत हुयीं।
द्रोपदी के केश बंधे।
मीरा भी लीन हुयी।
वाह रे कन्हैया
मैं तट की मीन हुयी!