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Thursday, January 2, 2014

लड़की की माँ का पत्र लड़कों के नाम

उसने इनकार किया है,
स्वीकार नहीं..
यह प्रथम-दृष्ट्या भी
उसका संकोच नहीं है
थोडा ध्यान से उसकी आँखों में देखो
सोचो-
फिल्मों में हीरो सरेआम या चुपके से
गाना गाता है, रोकता, टोकता है
क्या फ़िल्म से तुमने यही भाव चुना?

भूल गए हो क्या?
'पंचबाण' भी
देवस्वार्थ से अविवेकी हो
शिवत्व की भेंट चढ़ा है
अरे, राख हो गया, राख!

एक गीत सुनाती हूँ-
"माई जे बेटी के सवाचैं
जइसे घिउ गागर हो
बाबा जे बेटी के निसारैं
जइसे जल माछर हो.."
सामाजिक रीति की गम्भीरता समझे?
आओ,
साहसी बनो
पहले अपना कर्त्तव्य पहचानो
देखो,
तुम्हारे हृदय की सुन्दर भावना को
माता-पिता की बैठक का आतिथ्य
निमन्त्रण दे रहा है 
उनकी भावना और बुद्धि के शिष्टाचार में
अपनी परख करो
इस क्रम से
उनके कलेजे के टुकड़े से विश्वास-विनिमय कर
प्रेम की नींव पर
अपने जीवन की इमारत
खडी कर सकते हो
फिर तुम देखोगे कि
दो जोड़ी माता-पिता
कैसे मिल कर तुम एक जोड़ी का जीवन संवारेंगे
अपने सुख को सुख से निहारेंगे,
सुख से निहारेंगे
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18/12/2013 07:00 AM