मानस के रंगों में डूबी तूलिका से दृष्ट-अदृष्ट को चित्रित करने का प्रयास : मेरी अंतर्यात्रा...
दृष्ट है अदृष्ट है तू ही तो इष्ट है गोधूली, पुरवाई, कुञ्जों की अंगड़ाई, जमुना जल की लहरें, राधा का गीत हुयीं। द्रोपदी के केश बंधे। मीरा भी लीन हुयी। वाह रे कन्हैया मैं तट की मीन हुयी!
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